BHU में दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, स्वराज, स्वधर्म के संरक्षण की परम्परा" विषय पर वक्ताओं ने की चर्चा

 


काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सभागार में स्वामी दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सभागार में स्वामी दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय " स्वराज, स्वधर्म के संरक्षण की परम्परा" रखा गया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं एवं अध्यापकों ने हिस्सा लिया।

हिन्दी विभाग के अध्यक्ष सदानंद शाही ने बताया कि स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके जन्म के 200 वर्ष पूरे हुए हैं। कार्यक्रम में उनके द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि आज जिस हिंदी में हम बात कर रहे हैं, उस हिंदी में उनका क्या योगदान रहा है, इस पर भी चर्चा की गई है।

उन्होंने कहा कि 1875 में दयानंद सरस्वती की किताब सत्यार्थ प्रकाश हिन्दी में लिखी गई थी। उस समय हिंदी भाषा का काफी विस्तार और प्रचार-प्रसार नहीं था। उन्होंने कहा कि यह किताब देश और विदेश में खूब पढ़ी गई। इस किताब को पढ़ने के लिए काफी संख्या में लोगों ने हिंदी पढ़ी और विभिन्न भाषाओं में इस किताब का अनुवाद भी छापा गया। उन्होंने कहा कि हिंदी के विकास में इस किताब में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने स्वामी जी के आदर्शों एवं विचारों पर अपने-अपने वक्तव्य छात्र छात्राओं के बीच रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर बीएचयू के कुल गीत के साथ हुआ।

Source - Dainik Bhashkar