काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की पापुलर कैंटीन मैत्री जलपान गृह और एग्रो कैफे को लेकर कैंपस में असंतोष बढ़ रहा है। छात्रों ने बताया कि यहां पर मिलने वाले नाश्ते और खाने में 80% से ज्यादा की कटौती कर दी गई है। साथ ही जो खाने या पीने को मिल रहा है, उसमें क्वालिटी पहले से लो है।BHU का मैत्री जलपान गृह।
छात्र संगठन डेढ़ साल से शिकायतें कर रहे हैं, मगर स्थिति जस की तस है। कुछ साल पहले छात्र और प्रोफेसर रात 8 बजे यहां आकर चाय पीते थे और अब शाम 5 बजे के बाद ताला लटका रहता है।
मैत्री जलपान गृह की पर्ची खिड़की के पास लगे बाेर्ड पर 25 व्यंजनों की सूची दी गई है, लेकिन मिलते केवल 2-4 आइटम ही हैं। ऐसा ही हाल एग्रो कैफे का है। छात्रों का कहना है कि शाम 5 बजे तक ये बंद हो जाते हैं। वहीं, दो बजे के बाद तो चाय और कटलेट ही खाने को रह जाता है।
मैत्री जलपान गृह और एग्रो कैफे में कोविड के बाद पूरा भोजन देना बंद कर दिया गया है। कभी यहां पर नाश्ते में चाय, समोसा, काफी, इडली, सांभर, डोसा, छोले भटूरे, राजमा, मिठाईयां आदि मिलती थीं। वहीं, खाने में दाल, चावल, रोटी, 2-2 सब्जियां, रायता आदि खूब मात्रा मिलता था। यह काफी हाईजेनिक भी रहता था। मगर, आज यहां पर महज पूडी-सब्जी ही मिलती है।
25 व्यंजनों की सूची में मिलते हैं 2-4 आइटम
छात्र बोले, "आप जब मैत्री जलपानगृह में प्रवेश करेंगे तो आपको पटल पर जो सूची दिखेगी उसमे लगभग 25 व्यंजनों का नाम लिखा हुआ है, लेकिन पूछने पर बताया गया कि अब केवल 4-5 चीजें ही मिलती है।'' पुड़ी-सब्जी के लिए लाइन में लगे छात्रों ने बताया कि यहां खाने की गुणवत्ता दिन प्रतिदिन बिगड़ रही है। पूड़ी-सब्जी सुबह 11.30 बजे से 2.30 बजे तक ही मिलती है।
जब हमने पड़ताल की, तो एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले यहां पर 35 से ज्यादा कर्मचारी काम करते थे। लेकिन, अधिकतर कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं और कुछ कोरोना में चल बसे। यहां अब केवल 13 कर्मचारी बचे है, जिसमें से भी कई जल्द ही रिटायर होने वाले हैं। वहीं नए कर्मचारियों की भर्ती के लिए ऊपर से मंजूरी नहीं मिल रही है।
मैत्री की चाय-कटलेट। |
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